कविता: दोस्ती और प्यार की सच्ची पहचान (ना दोस्ती बड़ी, ना प्यार बड़ा, जो उसे निभा दे, वो इंसान बड़ा।)
ना दोस्ती बड़ी, ना प्यार बड़ा,
जो उसे निभा दे, वो इंसान बड़ा।
जितनी गहराई दोस्ती में हो,
उतनी ही सच्चाई प्यार में हो।
दोस्ती में खुद को भूल जाना,
प्यार में कभी न दर्द छुपाना।
ज़िन्दगी के सफर में साथ चलना,
मुस्कान से हर मोड़ पर जीतना।
जो कभी न थमा, जो कभी न रुका,
वही इंसान सच में बड़ा हो सकता।
जो न सिर्फ अपने लिए जीता हो,
दुनिया के लिए भी कुछ किया हो।
तो प्यार और दोस्ती, दोनों में हो वफ़ादारी,
तभी तो मिलती है असली जिंदगी की यारी।
जो हर दर्द को अपनाए, जो हर पल को सुंदर बनाए,
वो इंसान ही तो सच में बड़ा हो जाए।
क्योंकि दोस्ती और प्यार, एक ही रास्ते की दो कहानी,
जिनसे मिलकर मनुष्य अपनी मंजिल पाता सुहानी।
और जो उन्हें सच में समझ जाता है,
वही इंसान बड़ा, हर मोड़ पे जीत जाता है।
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